
नमस्कार दोस्तों मेरा नाम मधुसूदन राव होलकर है | मेरी हमेशा से धनगर समाज को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की कोशिश रही है | इसी के चलते मेने ‘होलकरों का इतिहास” (Holkaro ka Itihas) नामक किताब लिखी है | इसी ग्रंथ के कारण धनगर समाज अपने ऐतिहासिक महापुरुषों के प्रति जाग्रत हो पाया है ।
मेरे पूर्वज मराठा प्रदेश के रहने वाले थे और मराठा सेना के साथ लश्कर ग्वालियर में रहते थे। 1857 ई. के गदर के पश्चात मेरे पूर्वज दो भाई लहाड़ी व दहाड़ी देशी पलटनों के साथ झज्जर होते हए दिल्ली में स्थापित हुए।
मेरा जन्म रियार गोत्र के धनगर क्षत्रिय परिवार में श्री लक्ष्मण सिंह सुपुत्र चौधरी किशनलाल के घर 1 मई 1963 को दिल्ली में हुआ। मैने प्राथमिक एवं उच्च शिक्षा के अलावा धार्मिक शिक्षा ‘सत्यार्थ रत्न’ भी दिल्ली से प्राप्त की है | सदा से ही मुझे ऐतिहासिक विषय में रूचि रही है और मैने भारत के इतहास पर गहन शोद किया है, जिसके चलते मुझे कई सभाओं में बड़े बड़े महा रथी के साथ मंच साझा करने का अवसर मिला है | में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय दिल्ली में 1 मई 2020 तक पदस्थ रहा हूँ।
में अपने विभाग की पत्रिका ‘आरोग्य संदेश’ के संपादकीय कार्य में 1987 से 1993 तक कार्यरत रहा हू | अ.भा. होलकर महासंघ के संस्थापक सदस्य, कोषाध्यक्ष पद पर रहकर कई वर्षों तक कार्य किया। दिल्ली से प्रकाशित मासिक समाचार पत्र ‘दि ग्रेट होलकर टाइम्स’ के सम्पादक पद पर रहकर मैने 1995 से सफल सम्पादन किया हैं और वर्तमान में अ.भा. होलकर महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव पद पर अवैतनिक कार्य कर रहा हूँ।
मैने कई राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में शोध लेख भी लिखे है , जिनमें
‘भारत के श्रेष्ठ क्षत्रिय’,
‘राखी की लाज’,
‘धनगर समाज यदुवंश की उपशाखा’,
‘उतरी भारत का सामाजिक इतिहास’ (धनगर ग्वालों पर शोध),
‘महाराजा मल्हार राव होलकर’,
‘देवी अहिल्याबाई होलकर’,
‘शिवाजी और हमारा समाज’,
‘महेश्वर दर्शन’,
‘कश्मीर समस्या’ आदि प्रमुख हैं।
मेरी प्रमुख पुस्तके निम्लिखित है:-
होलकरों का इतिहास (प्रकाशित)
यदवंशी धनगर-ग्वाल समाज का इतिहास (प्रकाशित)
धनगर कुल भूषण श्रीमंत महाराज मल्हार राव होलकर (प्रकाशित)
देवीश्री अहिल्याबाई होलकर (अप्रकाशित)
स्वतांच्य वीर योद्धा श्रीमंत महाराजा यशवंतराव होलकर (अप्रकाशित)
ग्वला शासक(प्रकाशित)
25 जून 2000 को इन्दौर के होलकर राजपरिवार के श्रीमंत महाराज शिवाजीराव होलकर के द्वारा मुझे ‘देवी श्री अहिल्याबाई होलकर रत्न’ की उपाधि से अलंकृत किया गया । इसके इलावा मुझे ‘ ‘शिवमल्हार सम्मान’, ‘बघेल रत्न’ की उपाधि से भी सम्मानित किया गया हैं।
